आज़ बनारस -पुणे का सांस्कृतिक संगम हो रहा है - डॉ. सुरेश गोसावी

 


प्रेस मीडिया लाईव्ह :

पुणे : 22 सितंबर _ आज़ भारत की सांस्कृतिक राजधानी बनारस और महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे का सांस्कृतिक संगम हो रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत भारतीय ज्ञान  परंपरा का समावेश किया गया है।इस विषय को हिंदी के छात्रों की नई पीढ़ी तक हम पहुंचाएंगे।आज़ बनारस और पुणे का नया रिश्ता जुड़ गया है जिसे हम बरकरार रखेंगे।"यह विचार सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.सुरेश गोसावी ने व्यक्त किए।

 हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत ' बनारस लिट फेस्ट: काशी साहित्य कला उत्सव, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय हिंदी विभाग और प्रियदर्शनी ग्रुप आॅफ स्कूल (पुणे)के संयुक्त तत्वावधान में 'वातायन 'के अंतर्गत संवाद, चर्चा, परिचर्चा एवं कवि सम्मेलन/ मुशायरा विश्वविद्यालय के ज्ञानेश्वर सभागार में हालही में संपन्न हुआ।इस समारोह का उद्घाटन करने के बाद वे बोल रहें थे।

  उद्घाटन सत्र में अतिथि परिचय, स्वागत बनारस लिट फेस्ट के सचिव ब्रजेश सिंह ने, प्रियदर्शनी ग्रुप आॅफ स्कूल, पुणे के न्यासी डॉ. राजेन्द्र सिंह ने किया। इस अवसर पर हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. सदानंद भोसले, कुलपति डॉ . सुरेश गोसावी,प्रा. डॉ.अविनाश कुंभार, मानवविज्ञान विद्या शाखा के अधिष्ठाता प्रा. डॉ.विजय खरे, मीडिया थीम एंड रिसर्च सेंटर के शशिभूषण तिवारी तथा हिंदी फिल्म अभिनेता यशपाल शर्मा मंच पर विराजमान थे।

  "जितनी मेहनत करोगे, जितनी गहराई में जाओगे उतना अभिनय निखरेगा। क्यों इरफान खान, क्यों नवाजुद्दीन सिद्दीकी, क्यों पंकज त्रिपाठी अच्छे लगते हैं? क्यों कि उनकी एक्टिंग स्पोंटेनियस होती है। ऐसा नहीं लगता कि वे डाॅयलाॅग बोल रहें हों। एक्टिंग की एक लाइन में परिभाषा है कि ऐसा झूठ जो सच लगे। इरफान जब एक्टिंग करता था तो वह सच लगती थी।" यह विचार प्रसिद्ध हिंदी फिल्म अभिनेता यशपाल शर्मा ने संवाद सत्र के अंतर्गत पेश किए। उनसे सीधी बात बृजेश सिंह और डॉ. शशिभूषण तिवारी ने की।

 हिंदी फिल्म एवं मराठी तथा हिंदी साहित्य संवाद सत्र के अंतर्गत सुप्रसिद्ध लेखक, नाटककार और निर्देशक मकरंद साठे से मदनमोहन दानिश ने, सुप्रसिद्ध लेखक विक्रम कर्वे से सुश्री दीव्या दयाल ने सीधी बात की। संवाद सत्र का सूत्रसंचालन प्रा. डॉ.मोहन शिंदे ने एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रा. डॉ.जयराम गाडेकर ने किया।  

कवि सम्मेलन/मुशायरा की अध्यक्षता प्रा. डॉ.सदानंद भोसले ने की । इसके अंतर्गत मदनमोहन दानिश,सोन रूपा विशाल, स्वयं श्रीवास्तव, डॉ. शशिकांत दुधगावकर,टीकम शेखावत, अस्लम हसन,विशाल बाग़,दान बहादुर सिंह, प्रशांत सिंह, अभिषेक तिवारी कवियों ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

    

शाम पांच बजे से लेकर रात के साढ़े नौ बजे तक त्रि-स्तरीय समारोह संपन्न हुआ।

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